दिनकर सोनवलकर
NDबड़ों के पाँव छूने का रिवाज़
इसलिए अच्छा है
कि उनके पैरों के छाले देखकर
और बिवाइयाँ छूकर
तुम जान सको
जिंदगी उनकी भी कठिन थी
और कैसे-कैसे
संघर्षों में चलते रहे हैं वे।
बदले में वे तुम्हें
सीने से लगाते हैं
और सौंप देते हैं
अपनी समस्त आस्था, अपने अनुभव।
यह आत्मीय विद्युत स्पर्श
भर देता है तुम्हारे भीतर
कभी समाप्त न होने वाली
एक विलक्षण ऊर्जा।